सूचना का अधिकार अधिनियम 2005
Right To Information Act 2005
(बोलचाल की भाषा में)
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 का मुख्य उद्देश्य हर सरकारी विभाग में **पारदर्शिता और जवाबदेही** लाना है। यह कानून भारत के हर नागरिक को यह शक्ति देता है कि वह सरकारी अधिकारियों से सवाल पूछ सके और उनके काम का हिसाब मांग सके।
भारत के लोकतंत्र में जनता ही मालिक है। सरकारी कर्मचारी, चाहे वह चपरासी हो या राष्ट्रपति, सभी जनता के टैक्स से वेतन पाते हैं और जनता के सेवक हैं। यह कानून इसी सिद्धांत को मजबूत करता है कि आपको अपनी सरकार से जानकारी पाने का पूरा हक है।
आरटीआई अधिनियम की महत्वपूर्ण धाराएँ
आरटीआई कानून में कुल 30 धाराएँ हैं, जो आपके अधिकारों को परिभाषित करती हैं। नीचे दिए गए कार्ड पर क्लिक करके हर धारा के बारे में विस्तार से जानें।
धारा 1
नाम और विस्तार
धारा 2
परिभाषाएँ
धारा 3
नागरिकों के अधिकार
धारा 4
लोक प्राधिकारियों की बाध्यताएँ
धारा 5
जन सूचना अधिकारी
धारा 6
सूचना के लिए अनुरोध
धारा 7
अनुरोध का निपटारा
धारा 8
सूचना प्रकट करने से छूट
धारा 9
खारिज करने के कारण
धारा 10
पृथक्करणीयता
धारा 11
तृतीय-पक्ष की सूचना
धारा 12
केंद्रीय सूचना आयोग
धारा 13
केंद्रीय आयुक्तों की पदावधि
धारा 14
केंद्रीय आयुक्त का हटाया जाना
धारा 15
राज्य सूचना आयोग
धारा 16
राज्य आयुक्तों की पदावधि
धारा 17
राज्य आयुक्त का हटाया जाना
धारा 18
आयोगों की शक्तियाँ
धारा 19
अपील
धारा 20
जुर्माना (शास्तियाँ)
धारा 21
सद्भावपूर्वक कार्रवाई का संरक्षण
धारा 22
कानून का अध्यारोही होना
धारा 23
कोर्ट का हस्तक्षेप न करना
धारा 24
खुफिया संगठनों पर लागू नहीं
धारा 25
आयोगों द्वारा रिपोर्ट
धारा 26
जागरूकता कार्यक्रम
धारा 27
केंद्र सरकार की नियम शक्ति
धारा 28
राज्य सरकार की नियम शक्ति
धारा 29
नियमों का रखा जाना
धारा 30
कठिनाइयों को दूर करना
आरटीआई अधिनियम के महत्वपूर्ण प्रावधान
- **केंद्रीय अधिनियम -** सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 (22/2005) की **धारा 29** में प्रावधान है कि इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियम संसद के प्रत्येक सदन में रखे जाएँगे। (Central Act - Section 29 of the Right to Information Act 2005 (22/2005) provides that rules made under this Act shall be laid in each House of Parliament.)
- सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 (22/2005) की **धारा 29** के तहत प्रत्येक दिया गया आदेश संसद के प्रत्येक सदन में रखा जाएगा। (Every order made under this section shall be laid in each House of Parliament.)
- **केंद्रीय सरकार** इस अधिनियम के क्रम 22/2005 के प्रयोग में आने वाली कठिनाई को **धारा 30** के तहत दूर करेगी। हालांकि, ऐसा आदेश इसके प्रभावशाली होने के 2 वर्ष बाद नहीं दिया जाएगा। (The Central Government shall remove the difficulty in the exercise of section 22/2005 of this Act under section 30, which shall not be made after two years from the date of its coming into force.)
- राज्य सरकारों द्वारा इस अधिनियम क्रम 22/2005 के अधीन बनाए गए नियमों को इसके अधिसूचित होने के पश्चात **विधान मंडल** में रखे जाएँगे। (The rules made by the State Governments under this Act order 22/2005 shall, after its notification, be laid in the Legislature.)
- सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की **धारा 1(3)** में यह वर्णन किया गया है कि आरटीआई की निम्न धाराएँ तुरंत प्रभावी होंगी: **धारा 4(1)**, **धारा 5(1) & धारा 5(2)**, **धारा 12**, **धारा 13**, **धारा 15**, **धारा 16**, **धारा 24**, **धारा 27** और **धारा 28**। इस अधिनियम के शेष उपबंध 120 दिन बाद से लागू होंगे।